माननीय श्री नरेंद्र मोदी को एक आम नागरिक का खुला पत्र।
अबकी बार लंबी लंबी कतार और गरीब लाचार !
आदरणीय मोदी जी,
कल आपका गोवा का भाषण सुना बहुत अच्छा लगा सुनकर आप जापान से लौटते ही काम में लग गए। सभागार तालियों की गड़गडाहट से लगातार गूँज रहा था उपस्थित गणमान्य ने कई बार आपको उत्साहपूर्ण स्वागत भी किया। सभागार देखकर ऐसा लग रहा था शायद ही इनमें से कोई एटीएम की कतार में लगा हो चारों तरफ वाही-वाही हो रही थी सभी आपके फैसले का समर्थन कर रहे थे काफी भावुक कर देने वाला भाषण था।
शायद आपने जापान जाते वक़्त नहीं सोचा होगा की मेरे जाते ही ये देश ये स्थिति बनेगी ८ तारीख रात ठीक ८ बजे का वो निर्णय पूरे देश हो हिला कर रख देगा और सड़कों पर हाहाकार मचेगा। १००० और ५०० के नोट विमुद्रीकरण कालाधन और भ्रस्टाचार को रोकने के लिए आपका निर्णय बहुत सराहनीय है हम आपके साथ है इससे देश का कालाधन वापस आएगा और भ्रस्टाचार पर लगाम लगेगी। लेकिन पिछले चार दिनों से जो दिखाई और सुनाई दे रहा है बहुत ही दुखद है ५०० और १००० के नोट का आपका निर्णय अच्छा हो मगर इसका क्रियान्वयन (execution) ठीक से नहीं किया गया बिना तैयारी के ही आपने अपना निर्णय मैदान में रातों रात उतार दिया। मशीनों को चेक नहीं किया गया इतना लोड लेने के बाद चलेंगी या नहीं नए नोट काम करेंगे या नहीं उतने एटीएम देश में है या नहीं आपने नोकरशाहों और अर्थशास्त्र विद्वानों की सलाह से नीति तो बनाई मगर जमीनी हक्कीकत नहीं देखी कि आम गरीब जनता जो शहर से दूर दराज गाँव में है उन पर इसका क्या असर होगा।
प्रधानमंत्री जी, ये समय किसानों के लिए बहुत अहम होता है पूरे साल की बोनी बखरनी इसी समय होती है किसान को खाद बीज डीजल के लिए पैसे की अति आवश्यकता होती है ऐसे में बैंक की लाइन में लगकर अपना कीमती समय बरबाद हो रहा है किसानों के पास पैसे नहीं है ना खाने को और ना ही बीज खरीदने को ऊपर से ये शादियों का मौसम है, हज़ार पाँच सौ के नोट लेकर घूम रहे है १० कि मी दूर से कस्बे तक आना लाइन में खड़े होकर दिन भर भूखे प्यासे इंतज़ार करना पता चला जब तक नंबर आया तब तक एटीएम से पैसे ख़तम हो गए या मशीन बंद हो गयी। खाली हाँथ लेकर वापस लौट जाते है। इनकी व्यथा को सुनिए और समझिये अगर इस देश का किसान अभी अपनी फसल नहीं लगाएगा तो देश को पूरे साल खाना कहाँ से आएगा ? इन गरीबों के पास ना तो क्रेडिट कार्ड है ना ही पे टीम (PayTM) की सुविधा ना ही बैंको के बारे में उतनी विस्तृत जानकारी। आपकी नीति इन गरीब लाचार किसानों को ध्यान में रख कर नहीं बनायीं गयी अन्यथा ये हाल नहीं हो रहा होता।
अगर शहर की बात करें तो वहाँ भी बुरा हाल है रोज़ मरा की चीज़ों तो ठेले वाले या बनिए की दूकान से आती है आज ठेले वाला अपनी सब्ज़ी नहीं बेच पा रहा है क्योंकि छुट्टा नहीं है दर्ज़ी की दूकान बंद है क्योंकि लोग सामान उठाने नहीं आ रहे है घर जो बाई आती है उसे भी पैसे चाहिए उसके बच्चों की स्कूल फीस और ट्यूशन फीस देनी है दिन भर नोट बदलने के चक्कर में दहाड़ी मज़दूरी कट रही है दूध वाला भी दरवाज़े में खड़ा है इनको पैसे कहाँ से दें ?
चलिए ये लोग तो दो चार दिन रुक भी जायेंगे मगर उनका क्या जिनके घरवाले रिश्तेदार अस्पताल में है इलाज के लिए पैसे नहीं है अस्पताल वाले १००० और ५०० का नोट नहीं ले रहे मेडिकल स्टोर में दवाई नहीं दे रहे है
पिछले चार दिनों में मैंने कितने ऐसे रियल लाइफ के वीडियो देखे जिसमें की दवाई और इलाज ना मिल पाने की वजह से लोगों ने अपनों को खो दिया। किसी ने अपना बच्चा खोया किसी ने अपनी माँ तो किसी ने अपना मित्र रिश्तेदार। कल आपने अपने भाषण में कहा कि ''मैंने घर, परिवार, सबकुछ देश के लिए छोड़ा है। मैं कुर्सी के लिए पैदा नहीं हुआ। लेकिन छोड़ने का क्या मतलब जब आम जनता ही त्राहि त्राहि कर रही हो कम से कम इन लोगों का प्रबंधन अच्छी तरीके से होना चाहिए था।
आपने कहा 50 दिन में पूरी सफाई करने को कहा है मगर 50 दिन में कितने परिवार बिखर जायेंगे इसका अंदाज़ा आपने नहीं लगाया होगा ४ दिन में एक भी अरबपति करोड़पति लाइन में आकर खड़ा नहीं हुआ जिनके पास काला धन होगा सबने अपने अपने तरीके ढूढ़ लिए है काला धन को ठिकाने लगाने के लिए किसी ने सोना खरीदा तो किसी ने डॉलर खरीद लिया परेशान तो आम जनता है और बैंक वाले है जिनको ओवर टाइम छुट्टी के दिन भी काम करना पड़ रहा है।
अभी जो देखने को मिल रहा है उसमें तो काला बाज़ारी ज्यादा चल रही है २००० के नए नोट आते ही नकली नोट आने शुरू हो गए कहीं मशीनों में नोट फिट नहीं हो रहे है तो कही और समस्याएं है इसको रोकने के लिए क्या कदम उठाये जायेंगे ?
प्रधानमंत्री जी, जब आपकी सुरक्षा में जल थल और वायु सेना है तो किस चीज़ से डरना कल आपने अपने भाषण कहां कि "मैं जानता हूं कि किससे लड़ाई मोल ली, वो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे...भाइय़ों मैं जानता हूं कि मैंने कैसेी कैसी ताकतों से लड़ाई मोल ली है। मैं जानता हूं कैसे-कैसे लोग खिलाफ होंगे, मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे, मुझे बर्बाद कर देंगे। लोग कैसी-कैसी बातें मेरे बारे में कह रहे हैं, नोट बंदी पर क्या कुछ नहीं कह रहे। लेकिन, मुझे जिंदा भी जला दो मोदी को डरने वाला नहीं।" इस तरह की बातें करके आप क्या समझाना चाहते है आप देश के सबसे शक्तिशाली
गौरान्वित पद पर है इस गरिमा को देखते हुए कौन आपको नुकसान पहुँचा सकता है
नुकसान तो उन लोगों का हो रहा है जो पिछले चार दिन से लाइन मैं लगे है एक विद्यार्थी अपनी क्लास छोड़ कर एक कर्मचारी अपनी नौकरी छोड़ कर........प्रधानमंत्री जी भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए देश का हर नागरिक आपके साथ है मगर पहले सिस्टम को दुरुस्त बनाइये और आम जनता की परेशानी समझिये तभी ये देश आगे बढ़ेगा नहीं तो......
यही स्थिति रही तो आर्थिक गति रुक जाएगी।
दिनाँक 14 नवम्बर, 2016
प्रार्थी
आम नागरिक
(माया विश्वकर्मा)