Monday, September 5, 2016

 प्राण (Pran) तुम यही हो...... Journey of Pran .........



बात 2013  की है, जब 2012 अन्ना आंदोलन के बाद 26 नवम्बर 2012 को ऑफिसियल राजनैतिक आम आदमी पार्टी बनी, अन्ना आंदोलन से जुड़े काफी लोग "आप" में जुड़े उनमें से मैं भी एक थी जो की टीवी, अखबार में मेंढक की तरह टकटकी लगाए सुबह शाम की देश की खबरें फॉलो करती थी। 2 फरवरी 2013 को मेरे पास एक ईमेल आया जिसमें एक "राष्ट्रीय कन्वेंशन सम्मलेन शिकागो" का जिक्र था। मेरे मित्र अक्षय ने भेजा था।  उस समय आम आदमी पार्टी के समर्थक अमेरिका में तो थे पर आपस में जुड़े हुए नहीं थे, सब चारों दिशाओं में बिखरे हुए थे इन सबको एकत्रित करने के लिए ये सम्मलेन शिकागो के डॉ मुनीश रायज़ादा, चैत्रा, आनंद  और बाकी साथियों ने रखा था जिसमें योगेंद्र यादव जी मुख्य रूप से अतिथि थे मेरे काम की वजह से शिकागो नहीं जा पायी पर कांफ्रेंस का रिकार्डेड वीडियो देखा। बहुत अच्छा लगा की कितने एन. आर. आई. युवा लोग जुड़ना चाहते है। योगेंद्र जी का भाषण सुना नयी ऊर्जा मिली।


शिकागो सम्मेलन 2013 
उसके बाद कुछ कार्यकर्ताओं से मेरी बात हुई। कि क्यों ना हम जहाँ है वहाँ पार्टी का फ्रेंडली ग्रुप शुरू करते है ? सब तैयार हुए मेने शिकागो से डॉ साहब से सिलिकॉन वैली के कांटेक्ट इक्कठा करने के लिए निवेदन किया। जो भी कांटेक्ट उनके पास थे उन्होंने 5 मई 2013 को तुरंत ईमेल किये। उनमें से प्राण कुरूप (Pran Kurup) का भी ईमेल था। मेने सबको ईमेल भेजा, मीटिंग करते है कुछ यहाँ पर, उसके बाद जुलाई 17 को प्राण का ईमेल आया की जो लोग भी आम आदमी पार्टी के समर्थक है उनको आपस में फेस टू फेस मिल लेना चाहिए। सब लोग आस पास ही रहते है किसी दिन समय निकाल कर मिलते है। उसके बाद कुछ लोगों का रिप्लाई आया, उसी समय आम आदमी पार्टी की एक कार्यकर्त्ता संतोष कोहली पर जानलेवा हमला हुआ जिसमें वो बुरी तरह जख्मी हुई और कुछ समय बाद उसकी मौत हो गयी। इस घटना ने हम सबको आपस में जोड़ने पर मजबूर कर दिया। संतोष कोहली की याद में ही हम लोग मिल्पिटास के स्टारबकस कैफ़े में प्राण कुरूप, कविराज, कैलाश अहीर और कुछ साथी भी मिले। जैसा मुझे लगा की प्राण कोई 25-30 साल का हमारे जैसा ही लड़का होगा जो पागलों की तरह इस अन्ना आंदोलन के बाद इस पार्टी से जुड़ गया। पर जब पहली बार उनको देखा तो बहुत शांत, सरल और अनुभवी लगे। हमको बताया कि यहाँ कुछ लोग (अभय भूषण, शैल कुमार हरी मेनन और शाना सूद) पहले से आम आदमी पार्टी के लिए काम कर रहे है ICC मिल्पिटास में हम लोग वीकेंड को मिलते है तुम लोग वहां आ सकते हो। फिर क्या ख़ुशी का ठिकाना नहीं।

First meeting with Pran Kurup in Milpitas 

ईमेल लिस्ट बनी और अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने का काम शुरू हुआ। संडे के दिन हम लोग अभय जी, हरी जी, शैल कुमार और शाना सूद से मिले काफी जानकारी मिली और काम करना शुरू हुआ। 23 अगस्त 2013 को अन्ना जी का आगमन ICC मिल्पिटास में हुआ उस समय बहुत लोग आने वाले थे हम सबने बैनर पोस्टर तैयार किये और अपनी पहली कैंपेन का प्रचार शुरू किया उस दिन काफी लोग हमको मिले जो अन्ना को सुनना चाहते थे पर उनके विचारों से सहमत नहीं थे अंततः आम आदमी पार्टी से जुड़ना चाहते है इस इवेंट के बाद हमारा मनोवल बढ़ा और लोग जुड़ते गए। प्रभात शर्मा इसी इवेंट के दौरान मिले जो बाद में आम आदमी पार्टी बे एरिया चैप्टर से जुड़े। फिर मीटिंग के लिए भी बड़ी जगह की तलाश शुरू कर दी। अंततः मिल्पिटास लाइब्रेरी में इक्कठा होना शुरू हुआ हर संडे को 3 से 5 का समय मीटिंग हुआ करती थी जिसमें प्राण और अभय जी का मार्गदर्शन मुख्यतः रहता था क्योंकि वो अरविन्द को कॉलेज के दिनों से जानते थे और काफी लंबे समय से उनके साथ परिवर्तन एन.जी.ओ. से जुड़े हुए थे। धीरे धीरे लोग बढ़ते गए और हम सबने ग्रुप बनाने शुरू किये कि किस ग्रुप को किस इंडियन इवेंट में जाना है। अधिक से लोग मिले और उसके बाद हमारे दो मुख्य पैनल डिस्कशन का काम शुरू हुआ। पहला 21 सितम्बर 2013 बर्कले (UC Berkeley) में शैल कुमार ने आयोजित किया जिसमें गुरुशरण दास और प्राण भी पैनल डिस्कशन में रहे। जिस तरह से उन्होंने दर्शको के सवाल के जबाब दिए आश्चर्यचकित थे। हँसते हुए सबको समझाना और नहीं भी समझ में आये तो अलग अलग तरह से उदाहरण देकर सबको खुश करते थे। बहुत सफलता पूर्वक पैनल डिस्कशन हुआ और अगली मीटिंग में विचार विमर्श हुए की और कैसे लोगों तक "आप" को पहुँचाया जाए।

            Volunteers at the meeting at UC Berkeley 

हमारा दूसरा पैनल डिस्कशन करीब एक महीने बाद 27 Oct 2013 स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) में होना तय हुआ अभय जी ने सबको इकठ्ठा किया रोशन शंकर और रघु महाजन के संचालन में ये पैनल डिस्कशन भी जबरजस्त हुआ बहुत सारे सवाल जबाब हुए जिसमें लोक सत्ता के बे एरिया प्रमुख कल्याण रमन भी शामिल हुए। उस समय जन सत्ता के प्रमुख जय प्रकाश नारायण ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात कही थी। इस पैनल डिस्कशन के बाद भी बहुत लोग आप से जुड़े और हम लोग दिल्ली के लिए तैयारी करने लगे।


Stanford University Panel Discussion 



Stanford University Panel Discussion Volunteer Team


हमारे लिए सबसे बड़ा काम था यहाँ के लोगों को नयी पार्टी के भरोसा दिलाना लोगों को जोड़ना और उनके साथ काम करना। मेहनत सफल हुई और लोग आने शुरू हुए। प्राण का हर मीटिंग में पर्सनली उपस्थित रहना हमको एक नयी ऊर्जा देता था जिस तरह से वो बातों को सुनते थे और समझकर हर समस्या का समाधान होता था दिल्ली का काम जोरशोर से शुरू हुआ। कोई भी बात अरविन्द तक पहुँचाना हो तो प्राण के अलावा कोई नहीं जो सीधी बात कर सके जब भी कोई नए आईडिया आते थे प्राण जी को बताते थे वही अरविन्द को बताते थे। नवम्बर 2013 में आम आदमी पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में उतरी और पहली बार 28 सीट लेकर आयी। हम लोग सब बहुत खुश थे थोड़ा मनोबल बढ़ा काफी वालंटियर फुल टाइम काम करने लगे। 
2013 के दिल्ली चुनाव के बाद मैं भारत वापस आयी वालंटियर काम करने के लिए समय-समय पर प्राण को ग्राउंड अपडेट देती थी कुछ अनुभवी स्टोरीज मेने ईमेल किये जो बाद में आर्टिकल में शामिल किये। जब मुझे लोक सभा का टिकट मिला प्राण ने मीडिया की जिम्मेदारी ली और जोरशोर से काम किया। इतने अच्छे से आर्टिकल लिखना और मेरी बात को शव्दों में प्राण से अच्छा कोई नहीं लिख सकता। शायद प्राण जी ही वो परदे के पीछे के हीरो है जो कभी सामने नहीं आये पर जिसने उनके साथ काम किया है वो समझते है की प्राण जी उनके लिए क्या मायने रखते थे। 
मैं करीब ९ महीने मध्य प्रदेश में थी ईमेल में बात होती थी कुछ समय बाद एक गूगल हैंगआउट का मुझे आमंत्रण मिला जिसमें प्राण, अक्षय और राज परिहार सारी महिला कैंडिडेट को एक साथ गूगल हैंगआउट (Google Hangout Link) के जरिये जोड़ना चाहते थे और उनका अनुभव, संघर्ष और समाधान सुनना और लोगो के सवालों के जबाब देना चाहते थे। गूगल हैंगआउट से पूरे भारत के चारों दिशाओं से महिलाओं में  शेफाली मिश्रा (उत्तर प्रदेश), ममता कुंडो (दिल्ली), जिंटी गोगी (असम), छवि (उड़ीसा) और मुझे (मध्य प्रदेश) जोड़ा। बहुत असरदार रहा ये गूगल हैंगआउट बहुत सारी महिलाओं गाँव की समस्या पता चली और गाँव में एक अकेली महिला किस तरह से अकेले लड़ती है। ऐसे अनेक असरदार गूगल हैंगआउट है जिनके लिए प्राण जी कोई नहीं भूल सकता।



 Google Hangout with AAP Lok Sabha Candidate 2014

2014 के बाद मेरा अधिकतम समय भारत में बीता प्राण जी से फ़ोन या ईमेल से ही बात होती थी। 2015 दिल्ली चुनाव के बाद जब अरविन्द और योगेंद्र जी प्रशांत जी अलग हुए। कैलिफ़ोर्निया के वालंटियर्स बहुत दुखी हुए कुछ तो आप छोड़ कर चले गए कुछ वालंटियर्स ने प्राण जी पर गुस्सा निकाला। मुझे याद है हमारी पहली मीटिंग बहुत दिनों के बाद मिल्पिटास लाइब्रेरी में हुई काफी कार्यकर्त्ता इक्कठे हुए सब गुस्से से लाल पीले। आप के ये दो ग्रुप क्यों बने दिल्ली में सब लोग इक्कठे काम क्यों नहीं कर सकते है एक वालंटियर ने उस दिन सीधा गुस्सा प्राण जी पर निकाला और कहा की आप ये बात ऊपर वालों को क्यों नहीं समझाते है। बड़े ही शांत स्वभाव से प्राण जी ने समझाया की जब कंपनी शुरू करते है शुरुआत में बहुत दिक्कतें आती है लोग रहते है चले जाते है सीईओ भी रहते है चले जाते है मगर कंपनी चलती है अच्छे लोगों की वजह से। आम आदमी पार्टी भी उस स्टार्टअप कंपनी की तरह है हमको सोचना पड़ेगा। उसके बाद उन्होंने ब्लॉग भी लिखा आम आदमी पार्टी के बारे में। 
2016 के शुरू में मेने उनको अपने इंडिया के काम के बारे में बताया जो मेने चुनाव के बाद शुरू किया था जिसमें "स्वराज मुमकिन है !" डाक्यूमेंट्री फिल्म और बघुवार किताब थी उनको आईडिया बहुत पसंद आया क्योंकि अरविन्द ने भी स्वराज किताब लिखी थी और वो भी गाँव में स्वराज लाना चाहते है। मई 2016 में एक दिन मैकडोनाल्ड मिल्पिटास में प्राण जी से मिलना हुआ कविराज भी साथ में थे बहुत सारी बातें हुई अधिकतम स्वस्थ और दिनचर्या को लेकर कविराज को समझाया कैसे जीवन में बैलेंस रखना है मानसिक तनाव को कैसे हैंडल करना है सोने से पहले थोड़ा कमेडी देखना चाहिए मन हल्का होता है नींद अच्छी आती है कोई भी स्ट्रेसफुल बात को मन में नहीं रखना चाहिए। पार्क में जाओ, घूमो फिर जिंदगी देखो बहुत सूंदर है। मैं हमेशा यही करता हूँ। कविराज को बहुत अच्छा लगा काफी समय बाद फुरसत की मुलाकात थी। मेरी डाक्यूमेंट्री फिल्म की कॉपी और कुछ किताब मांगी और पूरी कहानी सुनने के बाद कहा की एक अच्छा प्रोग्राम स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में करते है ये बहुत अच्छा काम है दूर दूर तक पहुचना चाहिए। मैने कहा अगली बार मिलोगे तो और भी कॉपी दे दूँगी। फिर थोड़ा इंडिया जाने की बात चली। इंडिया जाने का प्लान चल रहा है तो जाने से पहले मिलते है। 

एक हफ्ते बाद 17 मई 2016 को एक दिन अचानक फ़ोन आया की मैं फ्रेमोंट आया हूँ यहाँ एक और मुम्बई का वालंटियर आया है अक्षय तुम भी आ जाओ कल मेरी फ्लाइट है इंडिया जा रहा हूँ। मेने तुरंत कुछ मेरी किताब की कॉपी उठाई और  फ्रेमोंट के चाट कैफ़े में मिले। चाट के शौकीन प्राण जी ने मेरे लिए भी चाय और चाट आर्डर की और अक्षय का इंतज़ार हो रहा था। इसी बीच उनकी आने वाली किताब को लेकर चर्चा हुई। बुक लॉन्च थोड़ा आम आदमी पार्टी का काम और फॅमिली विजिट। फिर मुझे कहा की तुमने अभी तक तुम्हारी किताब और फिल्म अरविन्द को नहीं दिखाई ? मैने कहाँ नहीं मैं दिल्ली नहीं जा पायी जबसे, प्राण जी ने कहा मैं अरविन्द को देता हूँ और मूवी भी दिखता हूँ उसको बहुत पसंद आएगी। उसके बाद अक्षय से कुछ बातें हुई और हमारा निकलना हुआ अक्षय को फ्रेमोंट में ड्राप करना था। मेने कहा प्राण जी आप घर निकल जाईये में ड्राप कर देती हूँ अक्षय को, हँसते हुए विदा किया हमने शुभ यात्रा बोला हमने और आगे बढे बस ये आखिरी मुलाकात थी प्राण जी से। 
उसके बाद उनकी बुक लॉन्चिंग के बारे में ऑनलाइन बात हुई, समय समय पर अपडेट दिए। बार बार यही पूछना होता था प्राण जी आप कब आ रहे है हमेशा जबाब आता नेक्स्ट मंथ। अभी कुछ दिनों से ऑनलाइन नहीं नज़र नहीं आये, वल्ली (मेरी मित्र) ने पुछा पता करो कुछ जबाब नहीं दे रहे है मेने मैसेज किया प्राण जी आप ठीक है ? जबाब मिला "I am OK !" थोड़ी राहत हुई। फिर मेरा अगला सवाल आप वापस कब आ रहे है ? (When are you coming back ?) कोई जबाब नहीं आया और कभी आएगा भी नहीं अब। 

प्राण आपकी बस अब यादें है वीडियो में, फोटो में उनकी हर वो मुस्कान में जो किसी का भी गुस्सा शांत करा सकती है। आपका हर वो चुटकुला किसी रोते को भी हँसा देते। आप हमेशा मेरी यादों में रहेंगे मेरे एक गुरु बनकर बड़े भाई की तरह। आम आदमी पार्टी कैलिफ़ोर्निया में आपकी कमी कोई नहीं भर सकता पर हम कोशिश करेंगे आपने जो सिखाया है बड़े काम में फोकस करो छोटे अपने आप हो जाते है। प्राण की यादों में शेष। ओम शांति। 

प्राण कुरूप की स्मृति में शेष......... 



   दिनाँक  4th सितंबर 2016                                                                   माया विश्वकर्मा 
                                                                                                     +1 510 870 0411 
                                                                                                   mvishwakarma@gmail.com 








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